हिमालय की गोद में बसा खूबसूरत केदारकंठ ट्रेक
हिमालय की खूबसूरत वादियां और ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं, पृथ्वी पर मानो भगवान के उपहार से कम नहीं हैं। इसी की गोद में बसा केदारकंठ ट्रेक (Kedarkantha trek) अपनी हसीन वादियों और खूबसूरत पहाड़ों के लिए आज भारत का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल बन गया है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गोविंद वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। केदारकंठ की चोटी से हिमालय के सबसे खूबसूरत पहाड़ों को देखना एक बेहद सुखमय अनुभव है। आपको ऐसा लगता है कि जैसे आपको यह अपनी ओर खींच रहे हों। यहां की शांति आपको वह सुकून दे जाती है जिसकी तलाश आप मानो कब से कर रहे हों। इतना ही नहीं यहां ट्रेकिंग करने का भी अपना ही एक अनोखा अनुभव है।
अगर आप भी एक छोटी सी ट्रिप प्लान कर रहे हैं जो एडवेंचर और मस्ती से भरपूर हो। तो आपके लिए केदारकंठ ट्रेक एक पर्फेक्ट डेस्टीनेशन है। आइए जानते हैं केदारकंठ ट्रेक (Kedarkantha trek) की खास बातें, यहां किस मौसम में जाना चाहिए और यहां कैसे पहुंचा जाए इत्यादि।
'केदारकंठ' ट्रेक (Kedarkantha trek)
(Kedarkantha trek) केदारकंठ ट्रेक, ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए जन्नत से कम नहीं है। अगर आप बेहतरीन ट्रेकिंग का एक्सपीरियंस लेना चाहते हैं तो यह ट्रेक आपके लिए ही बना है। केदारकंठ की खूबसूरती, यहां की हरियाली, यहां बसे गांव और यहां के लोगों की संस्कृति, मन और आत्मा दोनों को ही सकारात्मकता प्रदान करती है।
केदारकंठ की एक और खासियत है कि यहां स्थानीय लोग हर साल केदारकंठ में 15 जुलाई को मेरू भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। स्थानीय भाषा में 'मेरू' भगवान शिव और गणेश को कहा जाता है। यहां पर 15 जुलाई को मेला लगता है और सभी गांवों के लोग यहां एकत्रित होकर बेहतर स्वास्थ्य, अच्छी फसल और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
गढ़वाल की विशिष्ट संस्कृति की झलक, रोमांच भरा सफर, सफेद बर्फ की चादर में लिपटे पहाड़ और इन पहाड़ों से निकलती हुई झीलें। इस ट्रेक की खूबसूरती में चार चाँद लगाने का काम करती हैं। केदारकांठ ट्रेक (Kedarkantha) की एक और खासियत है यहाँ का स्थानीय भोजन। यहां का लोकल खाना जैसे लाल चावल, मांडवा की रोटी, बिछू घास की सब्जी आदि काफी लोकप्रिय है। इतना ही नहीं यहां के स्थानीय लोगों का टूरिस्ट के प्रति गर्मजोश रवैया (वेलकमिंग नेचर) उन्हें वाकई आश्चार्यचकित और प्रभावित करता है। यहां की एक और खास बात यह है कि केदारकंठ ट्रेक त्रिकोण आकार का है जो इसके सफर को और रोमांचक बनाता है।
Kedarkantha trek height
केदारकंठ की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस अकेले ट्रेक से आपको बहुत से ट्रेक दिखाई देते हैं। जैसे हर की दून घाटी, रुइंसारा घाटी, बाली पास, बोरसु दर्रा, सरुतल, फाचू कंडी पास आदि। इतना ही नहीं यहां से हिमालय की सबसे खूबसूरत पर्वत श्रृंखलाएं भी दिखाई देती हैं। जैसे स्वर्गारोहिणी चोटी (6300 मीटर), ब्लैक पीक (6387 मीटर), बांदरपंच पीक (6300 मीटर), रूपिन रेंज, सुपिन रेंज, खिमलोगा पीक, बारासर झील रेंज, विशाखरी रेंज, रंगलाना पीक 5800 मीटर) आदि।
क्या केदारकंठ का ट्रेक मुश्किल है? (Is Kedarkantha trek easy?)
केदारकंठ (Kedarkantha) का ट्रेक बहुत ज्यादा मुश्किल ट्रेक नहीं हैं। आपको यह जानकर खुशी होगी की यह ट्रेक सिर्फ अनुभवी ट्रेकर्स के लिए ही नहीं बल्कि यहां बच्चे और पहली बार ट्रेक करने वाले लोग भी आसानी से ट्रेकिंग कर सकते हैं। बशर्ते आप एकदम फिट हों। अगर आप इस ट्रेक के लिए तैयार होना चाहते हैं तो आप दो हफ्तों तक रोज़ाना 4 की.मी. चलने का अभ्यास कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसकी स्पष्ट लोकेशन और यहां कैसे पहुंचा जा सकता है।
केदारकंठ ट्रेक रूट और ऊंचाई (Kedarkantha trek route)
केदारकंठ ट्रेक (Kedarkantha trek route) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गोविंद वन्यजीव अभयारण्य में स्थित है। इस ट्रैक की ऊंचाई 3,800 मीटर अर्थात 12,500 फ़ीट है और यह पूरा ट्रैक लगभग 20 किमी का है। इस ट्रेक को 6 से 7 दिनों में पूरा किया जा सकता है। यहां तक पहुँचने के लिए ट्रेकर्स को वन्यजीव अभ्यारण्य से होकर गुजरना होता है।
ऐसे पहुँचे दिल्ली से देहरादून और वहां से केदारकंठ (Delhi to Kedarkantha)
आप दिल्ली से बस, ट्रेन या फ्लाइट लेकर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंच सकते हैं। या फिर आप दिल्ली से रोहड़ू और फिर रोहड़ू से सांकरी के लिए चलने वाली बस भी ले सकते हैं। इसमें कुल मिलाकर लगभग साढ़े 15 घंटे का समय लग सकता है। आप सीधा दिल्ली से देहरादून (Delhi to Kedarkantha) की फ्लाइट लेकर भी यहां पहुंच सकते हैं। दिल्ली से देहरादून की फ्लाइट लेकर आप केवल 1 घंटे में देहरादून पहुंच जाएंगे और आगे की यात्रा शुरू कर सकेंगे। ये यात्रा 6 दिनों की होगी।
ITERNARY for Kedarkantha Trek(यात्रा कार्यक्रम)
पहला दिन - देहरादून से सांकरी (Sankri to Dehradun)
- सुबह देहरादून से यात्रा शुरू होगी
- ऊंचाई: 6,400 फीट
- दूरी और समय: 210 km 10 घंटे का रास्ता
- सांकरी पहुंचने का समय: शाम 5 बजे
- रहने और खााने की व्यवस्था: गेस्ट हाउस में
सांकरी (Sankri) केदारकंठ ट्रेक का बेस कैंप है। केदारकंठ ट्रेक शुरू करने के लिए आपको देहरादून (Sankri to Dehradun) से सांकरी पहुँचना होगा। इस पहाड़ी रास्ते को कवर करने में लगभग 8 से 10 घंटे लगते हैं। देहरादून से सांकरी पहुंचने के लिए आप मसूरी, दमता, नौगाँव, पुरोला, मोरी और नैटवार से होकर लगभग 210 किलोमीटर की ट्रेवलिंग करेंगे। आपके पिकअप प्वाइंट की व्यवस्था देहरादून में की जाएगी और पिक-अप पॉइंट और समय की सूचना आपकी बुकिंग के बाद ईमेल द्वारा समन्वित की जाएगी। इस बुकिंग में भोजन और देहरादून से सांकरी (Sankri to Dehradun) तक परिवहन शामिल नहीं है। और संकरी से, हम आपके खान-पीने और रहने की देखभाल करेंगे।
दूसरा दिन: सांकरी से जूदा का तालाब
- ऊंचाई: 4,400 फीट से 9100 फीट
- ट्रेकिंग: 4 की.मी
- ट्रेकिंग का समय: 5 घंटे
- कैम्पिंग: जूदा का तालाब + रहने और खााने की व्यवस्था
सांकरी (Sankri) पहुंचने के बाद आप यहां से जूदा का तालाब झील की ओर बढ़ेंगे। आप यहां घने जंगलों से होकर गुजरेंगे। जूदा का तालाब सांकरी (Sankri) और केदारकंठ ट्रेक शिखर के बीच स्थित एक छोटी सी झील है। यहां करीबन दोपहर तक पहुंच कर ट्रेकर्स अपने कैम्प लगाएंगे और झील के किनारे बैठ कर सनसेेट का लुफ्त उठाएंगे। यहां से सुबह नाश्ते के बाद ट्रेकर्स केदारकंठ बेस कैम्प की ओर रवाना होंगे।
तीसरा दिन: जूदा का तालाब से केदारकंठ बेस कैम्प
- ऊंचाई: 9100 फीट से 11,250 फीट
- ट्रेकिंग: 4 की.मी
- ट्रेकिंग का समय: 2.5 घंटे
- कैम्पिंग: केदारकंठ बेस कैम्प + रहने और खाने की व्यवस्था
जूदा के तालाब से 4 कीमी की दूरी तय करने के बाद विशाल घास का मैदान शुरू होता है जो कि केदारकंठ का बेस कैम्प है। इस ट्रेक पर आपको बेहतरीन सुरम्य दृश्य देखने को मिल जाते हैं जो कि इस ट्रेक का मुख्य आकर्षण है। आपको यहां से उत्तराखंड के सभी ट्रेक दिखाई पड़ते हैैं। यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां पर रातभर रुक कर, सुबह नाश्ते के बाद आप केदारकंठ के शिखर की ओर बढ़ेंगे।
चौथा दिन: केदारकंठ बेस कैम्प से केदारकंठ चोटी फिर हरगांव से उतराई
- ऊंचाई: 11,250 फीट से 12,500 फीट
- ट्रेकिंग: 6 की.मी
- ट्रेकिंग का समय: 7 घंटे
- कैम्पिंग: शिखर पर पहुंचने केे बाद लंच के लिए बेस कैम्प
चौथा दिन बेहद लंबा होगा क्योंंकि आप पहाड़ की पश्चिम ओर से खड़े रास्तों, चट्टानों पर चढ रहे होंगे। फिर शिखर पर पहुंचने के कुछ देर बाद आप वापस कैम्प की ओर लौटेंगे और लंच के बाद हरगांव कैम्प की ओर बढ़ेंगे। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, देवदार के पेड़ों के घने जंगल के रास्ते धीरे-धीरे गायब होने लगते हैं। यह 2 घंटे से अधिक की कठिन और थकाऊ चढ़ाई होगी।
पाँचवाँ दिन: हरगांव कैम्प से सांकरी
- ऊंचाई: 8,900 फीट से 6,400 फीट
- ट्रेकिंग: 6 की.मी
- ट्रेकिंग का समय: 4 घंटे
आज के दिन आप घने देवदार के जंगलों के माध्यम से 2500 फीट की उतराई करके सांकरी पहुंचेंगे। 6 की.मी. के इस ट्रेक की उतराई में 4 घंटे लगेंगे। नाश्ते के बाद, हम एक और अच्छे चिह्नित मार्ग के माध्यम से उतरेंगे, जो थोड़ा पत्थरीला होगा। शाम तक हम सांकरी पहुंच जाएंगे। आप यहां के आसपास के बाज़ारों से लकड़ी से बने खिलौने, लकड़ी से बने घरेलू सजावट का सामान खरीद सकते हैं।
छठा दिन: सांकरी से देहरादून (Sankri to Dehradun)
- ट्रेवलिंग: 210 की.मी. ड्राइव
हम आपको देहरादून पहुंचाने के लिए वाहन की व्यवस्था उपलब्ध कराएंगे।
जानते हैं केदारकंठ ट्रेक का मौसम और किस मौसम में यहां जाना रहेगा बेस्ट? (Kedarkantha Weather)
केदारकंठ एक ऐसा ट्रेक है जहां सभी मौसम में घूमा जा सकता है। वैसे तो आपको जो मौसम सूट करता हो आपको उस मौसम में यहां आना चाहिए। लेकिन सर्दियों के मौसम में यहां की खूबसूरती एक अलग ही तस्वीर बयांं करती है। चारों ओर सफेद बर्फ की मोटी चादर बिछी रहती है जो इसकी खूबसूरती और बढ़ा देती है। केदारकंठ में (Kedarkantha Weather) सर्दियों में यहां का तापमान '-3 डिग्री' तक पहुंच जाता है। इसे भारत में उत्तराखंड के सबसे पंसदीदा 'विंटर ट्रेक' के रूप में जाना जाता है। यहां ट्रेकर्स अधिकतर सर्दियों में आना पसंद करते हैं। हालांकि यहां बर्फ अप्रैल के महीने तक भी रहती है।
यदि आप सर्दियों में केदारकंठ जाना चाह रहे हैं तो आपके लिए बेस्ट टाइम मिड नवंबर से मिड अप्रैल है। आप बेस्ट ट्रेकिंग एक्सपीरियंस लेने के लिए इन्हीं महीनों के बीच केदारकंठ का प्रोग्राम बनाएं। गर्मियों में यहां का मौसम (Kedarkantha Weather) ठंडा रहता है, और तापमान 6 डिग्री से 20 डिग्री तक बना रहता है। मॉनसून में आपको यहां नहीं जाना चाहिए क्योंकि हिमालय पर मौसम का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता। बारिश कब हो और कितने दिन तक चले यह बता पाना असंभव है। वैसे भी मॉनसून में फिसलन की वजह से भूस्खलन का खतरा भी बढ़ जाता है।
क्या केदारकंठ और केदारनाथ एक ही हैं? (Is Kedarnath and Kedarkantha same?)
केदारकंठ का नाम सुनकर अक्सर लोगों के मन में ये सवाल जरूर उत्पन्न होता है। इस सवाल का जवाब है नहीं, केदारनाथ और केदारकंठ दोनों अलग-अलग जगहें हैं। केदारनाथ भगवान शिव को समर्पित तीर्थ धाम है और केदारकंठ रोमांच से भरपूर एक पहाड़ी ट्रेक है। दोनों ही उत्तराखंड में स्थित हैं।